दिल्ली से पंजाब सिमरन के साथ

Shaikh Umar Azmi
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 मैं आज दिल्ली आया हूं और वीडियो की तलाश में हूं, क्योंकि मैं एक पत्रकार हूं, दोपहर 2 बजे से पूरी दिल्ली घूम लिया, सिर्फ वीडियो की वजह से, जहां से मैं पूरा दिन या तो बस से घूमा हूं या फिर पेडल चला हूं, कहने का मतलब बहुत है थक गया हु इतना कि आगरा में कोई कुछ काम कहे तो



 फोरन डांट दू और तब से सोच रहा हूं आज आराम कर लेना चाहिए था आज पूरा दिन खराब जा रहा है और फिर मुझे एक वीडियो का टॉपिक मिला जो मुझसे इतनी दूर है जितना आपसे लखनऊ लेकिन माई सोच नहीं रहा था जाने के लिए क्योंकि अब शाम का वक्त हो चूका है शाम नहीं इसे रात कहो


 क्यू की, 8 बज रहे हैं अब माई ये माई ये सोच चुका हूं कि मैं अपने कमरे पर वापस जाऊं और फिर एक बार सोच रहा हूं हु कि चालू अम्बाला जो मुझसे आपके लखनऊ इतनी दूर है अब


 सोचते हुए 9 बज गए माई परेशान और खुद को कह रहा हूं हु कि चलते है अम्बाला और अब ट्रेन का इंतजार करने लगेगा कुछ वक्त और फिर ऐलान हुआ कि कोई भी ट्रेन 12 से पहले नहीं आएगी और फिर से मैं खुद को कहूंगी कि ये क्या हो रहा है मेरे साथ और क्यू मेरे ही साथ हो रहा है फिर मैं अपने एक साथी से कहता हूं कि आप चलिए मैं पूछताछ करके आता हूं कि


 कोई ट्रेन अंबाला जाएगी आज या नहीं आज का मतलब सुबह होने से पहले उन्हें कहा एक गाड़ी है जो दिल्ली से अंबाला जाती है और 1 घंटे में जाएगी वो मेरे चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आई कि कुछ तो हुआ और मैं और मेरा साथी हम दोनों ट्रेन का इंतजार करने लगेंगे और फिर ट्रेन आई एक दम खाली थी पहले मुझे ही बैठने का मौका मिला पर जैसे ही हम दोनों अंदर गए और बैठे


 ही साथी बोला सीट मिल गई अब टिकट लेना बाकी है और फिर उसने जोर डाला की टिकट माई ले आउ क्यू की ट्रेन बिलकुल लास्ट में लगी है और काउंटर 200 सीधी चढ़ कर लाना होता है माई उनसे बोला मेरी सीट बचाना है तुम्हारे साथी ने हा कह दिया और


 मैंने एक बैग रख कर वाहा से निकल गया और दौड़ लगाई कुछ दूर तक और सांसे फूलने लगी लेकिन मेरी जोड़ी की रफ्तार काम नहीं हुई लेकिन स्पीड से कुछ देर चलते चलते टिकट काउंटर पे लंबी लाइन को झेल कर मैं टिकट ले रहा हूं और ये सोच रहा हूं कि टिकट कितने का होगा मेरे पास सिर्फ 2 सौ है और इतने में 2 टिकट चाहिए मुझे और ऑनलाइन मेरा इंटरनेट


 नहीं चल रहा है जैसे तैसे मैंने टिकट लिया और फिर दौड़ा ये सोच कर की शायद ये ट्रेन की आवाज मेरी ट्रेन जाने की है और फिर मैं लगता है दौड़ा पर मेरी गलती से 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर आज्ञा थी इतने में डर और बढ़ गया और भागते भागते एक टीटी मिले उनसे पूछा कि 14 नंबर प्लेटफॉर्म पर कहा मिलेगा तो अनहोन काहा बस ये आरएचए और माई ट्रैफ दौडा फिर माई भागा और सीधा 12 नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंच गया लेकिन अब भी मैं ग्लैट


 प्लेटफॉर्म पे हूं फिर मैंने साथी को फोन किया और पूछा तो उसने कहा ऐसे ऐसे आओ तो मैंने वैसे ही किया और अपनी ट्रेन को देखा तो इतनी खुशी हुई, अब मैं उनसे बात करने के लिए उनके पास आया तो देखा कि मेरी सीट पर कोई बैठा है मुझे बुरा नहीं लगेगा, मेरी फितरत ही यहीं है, कोई मुझसे कुछ भी छीन सकता है और मैं आया और साथी की बगल में बैठ गया और फिर मेरी सीट पर बैठे पैसेंजर को देख रहा हूं 3 लोग


 साथ में थे एक मां एक आंटी एक सिमरन अब सिमरन के बारे में जान लो थोड़ा सा पहला एक लड़की जो बहुत खूबसूरत है परी लग रही है हाथ में मोटे लोहे का फैशन में मोतियों का कोई कड़ा पहना है और अपने नखूनो पर उसने आर्ट किया है (नेल आर्ट=नाखून पर किसी तरह का डिजाइन) ये सुनकर आप मत सोचना कि ये कैसी है बस इतना मानो एक परी है ब्ला की


 ख़ूबसूरत है सिमरन ,,, लेकिन अब सिमरन कोन है आगे बताता हूं लेकिन आगे की कहानी से पहले आप सिमरन को एक लड़की मानिए जो बहुत खूबसूरत है और आगे की बात सुनो पहले मैं बैठा और अपने दोस्त को ये बता रहा था कि मैं प्लेटफॉर्म पर कैसे भूल गया था कहा पार है और वो चिप्स वाले को बुलाती है और पूछती है ग्लास होगा तो व्यक्ति बोलता है हा पर आकर लेना होगा तो वो मुझसे कहती है अपने साथी से मंगावा दीजिए जो


 हमें वक्त वहा गया था खाने का सामान लेने के लिए मैंने बोला था आप खुद बोल्डो वो मेरी बात नहीं मानेगा तो उसने खुद कह दिया अब उसकी आंटी से सफर में कुछ बात होने लगी जैसे कहा जा रहे हो और



                  

 क्यू जा रहे हो और मैंने भी सब बात का जवाब देते हुए उनसे कई सवाल किए और वो भी खुश हो गई थी क्यू की मेरी सीट से एक पैसेंजर को उतरना था और उनकी सीट भरी थी उतने में उनका चेहरा देख कर समझ गया कि उनको दिक्कत हो रही है और मैंने पूछा आपको देना है क्या तो झट से जवाब मिला है बेटा


घुटनो में दर्द रहता है तो वो सोने के लिए हमारी सीट पे आएगी और सोने लगी और थोड़े वक्त में सिमरन की मम्मी सो चुकी थी और आंटी


भी अब पूरी ट्रेन सिमरन माई और मेरा साथी जाग रहा है सिमरन ट्रेन की खिड़की का सहारा लेकर आंख बंद की थी मैं उसको देख रहा था और जी भर के देख रहा हूं फिर अचानक से मेरी नजर उसकी लॉकेट पे गया जिसका नाम “सिमरन” था लिखा हुआ था माई बस उसको देख रहा था तुम्हारा काफी समय बस देखता ही रहा इतने में उसकी आंख खुली और मैंने नजर


 नीचे कर लिया उसने मुझे इशारा किया मैंने देखा तो वो बिना आवाज किए इशारे में पूछ रही थी कि क्या मेरा दोस्त है तो गया है, मैंने अपने साथी को देखा तो वो फोन इस्तेमाल कर रहा था मैंने कहा नहीं वो जाग रहा है तो उसके चेहरे पर म्युसी छा गई मानो वो कुछ कहना चाहती हो, पर मुझे थोड़ा अंदाज़ा हो गया था मैं मुस्कुराने लगा और अपनी किताब एल (एटॉमिक हैबिट) पढ़ने लगा उसने फिर से आंख बंद कर लिया मैंने फिर से उसे देखने लगा अब उसने अचानक से आंख खोला और मेरी ट्रैफ देखा और मुस्कुराते


 हुए इशारे में पूछा क्या हुआ क्या देख रहे हो मैंने कहा कुछ नहीं तुम्हें देख रहा था वो मुस्कुराने लगी और मेरी ट्रैफ देख रही थी और मेरी उसकी ट्रैफ ये ट्रेन का सफर सुहाना हो रहा था रात का 1 बज रहा हो और कोई आपको आंख भर के देख रह हो और आप भी देख रहे हो हम दोनों इसी तरह से एक दूसरे को देखते रहे थोड़े समय में सिमरन की




 आंटी जग गई उन्हें सोने में परेशानी हो रही थी उनको मुझे जल्दबाजी में कहा मेरी वजह से बेटा तुम्हें परेशानी हो रही है मैने तुरंट कहा नहीं इसमे परेशान क्या इतने में मेरी नज़र सिमरन की मम्मी पर पड़ी तो मैंने आंटी को भी दिखाया और बोला इनको देखिये घोड़े बेच कर तो रही है तो आंटी भी


 हसने लगी और सिमरन भी फिर आंटी ने मुझसे बोला आप सिमरन की सीट पर बैठ जाओगे माई पूरी लेट जाओ अब मैं सामने की सीट पे गया जिसपर सिमरा की मम्मी जोड़ी मोड़ कर सो रही थी उनके सारे पास सिमरन और जोड़ी के पास माई अब सिमरन को भी नींद आ रही थी और ये महीना भी


 जनवरी का है तो थंड तो लगना ही है अब वो सोना चाहती है लेकिन उसको ठंड लग रही है इतने में उसकी मम्मी जागी और सिमरन को देखा फिर मुझे देखा और आंटी को देख कर हंसने लगी बोली आप अच्छे से बैठे हो ना क्यों कि आपकी पूरी सीट पर आंटी सो रही है आप थोड़ी सी जगह में बैठे हो मैंने कहा आंटी माई ठीक हूं शायद सिमरन को ठंड लग रही है ये सुन कर


 उनको थोड़ा अजीब लगेगा कि माई सिमरन का नाम कैसे जानता हूं मैंने बताया आप सो रही थीं तो थोड़ी बात चीत हुई और पता चल गया फिर वो समझ गई और मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी मानो ये सब जान चुकी हो और हमी भर रही हो, उन्हें बैग से एक पत्ता सा


 कंबल निकला और सिमरन के ऊपर डाल दिया और खुद भी सोने लगी अचानक सिमरन उठ गई और बोली मम्मा आप सो जाओ मैं आपके ऊपर सर रख के सुनूंगी और वो अपनी मां के ऊपर ऐसा सोई है जैसे एक 3 साल की बच्ची हो वो अब मेरे और पास थी मैं इस्तेमाल और जी भर के देख रहा था और फिर मेरा साथी मेरी ट्रैफ देखा बोला हमारा स्टेशन आ रहा है कुछ दूरी ही बची है इतने में मैं खड़े होकर ट्रेन की दूसरी ट्रैफ की सीट पर बैठ


 गया ज्यादा तार सीट खाली ही थी थोड़े टाइम मैप देखा कहा जाना है ये देखा और एक गाना सुनने लगा ताकि नींद ना आए और घूमते हुए अपनी सीट की ट्रैफ आया तो देखा सिमरन जगी हुई थी मैं उसको देख कर वही उसके सामने बैठ गया वो थोड़ी परेशानी लग रही थी या फिर कुछ टेंशन का इस्तेमाल करो उसने मेरी ट्रैफ देखा तो मैंने उसको पूछो क्या हुआ वो मुस्कुराते हुए नींद लेते हुए बोली कुछ भी तो नहीं बस नींद बहुत आ रही है सोना है मैंने भी


 मुस्कुराए हुए गार्डन हिलाया की तो जाओ फिर वो मेरी ट्रैफ करवट लेकर मेरी ट्रैफ देखने लगी मैंने पूछा क्या हुआ तो बोली बस देख रही हूं मैंने पूछा मैं भी देखूं तुम्हें शर्माते हुए अपने बाल के एक लटके को जो उसके चेहरे पे हवा से आज्ञा देता था उसे सही करते हुए हा बोली हा देखो हम दोनों एक दूसरे की आंख में देखने लगे उसके चेहरे पर कुछ परेशानियाँ थी जो मुझे साफ साफ दिखायी दे रही थी मैंने पूछा क्या हुआ बोली कुछ नहीं मैंने बोला पहले सच सच बताओ क्या बात है तो बोली तुम्हारा स्टेशन आ रहा है ये कहते हुए


 उसके मासूम से चेहरे पे उदासी आ गई मैंने पूछा तो क्या हुआ बोली हम फिर से कब मिलेंगे क्यू कि मुझे पता है मैं यूपी से वो पंजाब से बहुत दूरी है लगभाग मुंबई जितनी दूरी मैंने कहा तू परेशान ना हो देखा जाएगा उसने पूछा नंबर ले लेते हैं बातें करेंगे फोन से तो मैंने कहा मेरा साथी जाग रहा है सच तो बस ये एक बहाना था नंबर लेना मैं चाहता नहीं था मुझे नंबर लो बात करो ये सब एक डम नहीं पसंद और इसके लिए भी कि मैं मेरे साथी का सीनियर हूं अगर देख लिया तो मेरी उसकी नजर


 में क्या इज्जत रह जाएगी और मैं उसको बता सकता हूं मेरा स्टेशन आ गया अपने साथी को बोला वो गेट के पास गया, माई भी सिमरन को आखिरी बार देख रहा था और उसको बाय बोल कर माई गेट की ट्रैफ आज्ञा अब ट्रेन रुके तो माई उतर जाऊ ट्रेन रुकी माई उतर गया और ट्रेन को देख कर सोच हा था कि आज पूरा दिन क्या-क्या हुआ मेरे साथ कितना परेशान हुआ, लेकिन जो भी हुआ मेरे अच्छे के लिए हुआ था, मैं स्टेशन पे उतरा तो जिस जगह


 जाना था मुझे वो नहीं था इसके भी 4 स्टेशन आगे है माई साथी को लेकर फिर से उसी ट्रेन पर चढ़ गया लेकिन अब सिमरन की यात्रा पर जा भी नहीं सकता क्योंकि वो रो रही है, मैं ट्रेन के एक शीशे से चोरी से देख रहा हूं उसकी आंटी और 

मम्मी सो रही है और वो रात के 4 बजे रो रही है शायद मेरे उतरने से वो खुश नहीं थी पर अब मैं उसके सामने भी नहीं जा पा रही हूं मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि उसको एक बार मिल लू मुझे डर है वो मुझे देख कर तेज बोलेगी और सब जग जाएंगे बस माई गेट पे था अब मेरे उतरने का टाइम हो गया है, थोड़े ही टाइम पे उतर गया अब सुबह हो रही थी रात की पूरी बात मेरे


 दिमाग में घूम रही थी कैसे एक सफर की शुरुआत में हम अंजान जब मैं उतरा तो वो रो रही थी ऐसा भी होता है पर ये सफर मेरी याद बन गया है जैसे ही अंबाला या पंजाब सुनता हूं पहले सिमरन मेरे दिमाग में आती है खैर मुझे 1 दिन का काम था पंजाब में माई करके वापस जा रहा था तो मेरा टिकट हो चुका


 था, मैं ट्रेन में आ गया था, लेकिन अचानक मेरा साथी, मेरे पास आया और बोला, सर एक गड़बड़ हो गई, हमने दूसरी ट्रेन का टिकट ले लिया है, मैंने बोला क्या हुआ, फिर बोला, फाइन लग जाएगी, मैंने पूछा अब क्या करना है तो उसने कहा अगला स्टेशन आ रहा है उतर कर दूसरी ट्रेन का टिकट लेकर चलते हैं मैं उतर गया स्टेशन पहुंच गया तो कुछ याद आया हा ये वही जगह है जहां मैं सिमरन को छोड़ कर पहले उतर गया था जहां मैंने सिमरन


 को रोते हुए देखा था ये जहां मैं जनता नहीं थी लेकिन पता नहीं किस्मत ने मुझे फिर से यहां अचानक क्यों रोक लिया, स्टेशन के अंदर गया दूसरा टिकट लेने के लिए तो मुझे सब याद आने लगेगा कैसे सिमरन और मेरा सफर एक ट्रेन में शुरू हुआ और अब जिंदगी भर के लिए एक याद बैन हो गया है

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